मुंबई : महाराष्ट्र के पालघर जिले में 2020 में साधुओं की पीट-पीटकर हुई हत्या की जांच शिंदे सरकार सीबीआई को सौंपने को तैयार है। राज्य सरकार ने एक हलफनामा दायर कर अपनी यह मंशा जताई। शिंदे सरकार ने अदालत में दायर हलफनामे में कहा इस मॉब लिंचिंग की सीबीआई जांच कराने में कोई आपत्ति नहीं है।
2020 Palghar mob lynching case | Maharashtra Government agrees to transfer investigation of the case to the CBI. In an affidavit, Maharashtra Govt says that it is ready and willing to hand over the investigation to the CBI and would have no objection to the same.
— ANI (@ANI) October 11, 2022
इस हत्याकांड की पूरे देश में निंदा हुई थी। उस वक्त महाराष्ट्र समेत देश में कोरोना लॉकडाउन था। तब राज्य में उद्धव ठाकरे नीत महाविकास अघाड़ी सरकार थी।
जानिए क्या है पूरा मामला
16 अप्रैल 2020 की रात 10 बजे के करीब सुशीलगिरी महाराज (35) और कल्पवृक्ष गिरी महाराज (70) और नीलेश तेलगड़े (30) नामक ड्राइवर के साथ देशव्यापी कोरोना लॉकडाउन के बीच एक कार में सवार होकर मुंबई के कांदिवली से गुजरात के सूरत में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जा रहे थे। इस बीच गडचिनचाइल गांव में भीड़ ने पुलिस टीम की मौजूदगी में उन पर हमला किया और बेहद ही बर्बरता के साथ उनकी हत्या कर दी थी।
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ग्रामीणों की भीड़ ने इन साधुओं की कार को रोका और उन्हें चोर समझकर पीट-पीटकर मार डाला था। मामले की जांच शुरुआत में पालघर पुलिस ने जांच की थी और बाद में इसे राज्य सीआईडी-अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया था।
वहीँ महाराष्ट्र सरकार की जांच पर संदेह जताते हुए साधुओं के रिश्तेदार और जूना अखाड़ा के साधुओं ने सीबीआई और एनआईए जांच की गुहार लगाई थी।
सच्चाई सामने आना चाहिए : केंद्रीय मंत्री नारायण राणे
वहीँ केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कहा है कि मामले की जांच होनी चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार द्वारा पालघर मॉब लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई को हस्तांतरित करने पर सहमति पर अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही।