पटना: बिहार में मंगलवार को तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से दो बार मुलाकात की. कुमार ने पहली बार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा और फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन का नेता चुने जाने के बाद राज्य में एक बार फिर शीर्ष पद के लिए अपना दावा पेश किया.
कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को 164 विधायकों की सूची सौंपी है और वह यह तय करेंगे कि शपथग्रहण कब होगा. राज्य विधानसभा में विधायकों की वर्तमान संख्या 242 है और बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत है. बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जद (यू) नेता कुमार पर 2020 के विधानसभा चुनावों के जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया और दावा किया कि कुमार को इसके लिए ‘‘बिहार की जनता सजा देगी’’.
कुमार का यह कदम 2017 में जो हुआ था उसका उलटा है जब वह महागठबंधन का साथ छोड़कर राजग में फिर से शामिल हो गए थे. कुमार ने सहयोगी भाजपा का साथ नौ साल में दूसरी बार छोड़ा है. नरेंद्र मोदी को गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उन्होंने 2013 में राजग का साथ छोड़ दिया था. जद(यू) की बैठक के बाद कुमार अपना इस्तीफा सौंपने के लिए राजभवन गए. उक्त बैठक में सहयोगी भाजपा पर ‘‘पीठ में छुरा घोंपने’’ का आरोप लगाया गया.
कुमार वहां से अपने आवास पर लौट आए, वह रास्ते में पत्रकारों को यह सूचित करने के लिए थोड़ी देर के लिए रुके कि ‘‘पार्टी की बैठक में यह तय किया गया है कि हम राजग छोड़ दें. इसलिए मैंने राजग सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है.’’ इसके तुरंत बाद, कुमार सड़क के उस पार स्थित पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास गए, जहां राजद, कांग्रेस और वाम दलों सहित महागठबंधन के सभी नेता एकत्र हुए थे.
कुमार के साथ जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन ंिसह उर्फ ??ललन भी थे. राबड़ी देवी के आवास पर कुमार लगभग आधा घंटा रुके. वह विपक्ष के नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ लौटे, जिनके पास कुमार के लिए समर्थन पत्र था. लगभग 15 मिनट बाद, कुमार ने नयी सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के वास्ते राज्यपाल से फिर से मुलाकात की. इस बार यादव और जद (यू) के वरिष्ठ सहयोगियों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी उनके साथ थे. मांझी के ंिहदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के चार विधायकों ने नयी सरकार बनाने के लिए ‘‘बिना शर्त समर्थन’’ व्यक्त किया है.
तेजस्वी यादव ने कहा, ‘‘नीतीश देश के सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने एक साहसिक कदम उठाया है.’’ इससे पहले दिन में, जब जद (यू) की एक बैठक चल रही थी, वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एक ट्वीट में कुमार को ‘‘नये रूप में नये गठबंधन’’ का नेतृत्व करने के लिए बधाई दी. ऐसा करके उन्होंने एक तरह से जदयू के राजग गठबंधन से अलग होने और सरकार में बने रहने के लिए राजद नीत महागठबंधन में शामिल होने का संकेत दिया था.
समझा जाता है कि मुख्यमंत्री कुमार ने विधायकों और सांसदों के साथ हुई बैठक में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें बाध्य किया, क्योंकि उसने पहले चिराग पासवान से विद्रोह कराकर और फिर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी ंिसह को सामने खड़ा करके जदयू को कमजोर करने की कोशिश की.
कुमार की स्पष्ट सहमति के बिना ंिसह को केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. नतीजतन, जब राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ, तो जद (यू) ने उन्हें राज्यसभा सांसद के रूप में एक और कार्यकाल देने से इनकार कर दिया, इस तरह से कैबिनेट मंत्री के रूप में भी उनका कार्यकाल समाप्त हो गया. इसके बाद, ंिसह के समर्थकों द्वारा कथित तौर पर फैलायी गईं जद (यू) में विभाजन की अफवाहें सामने आईं.
जातीय आधार पर जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण और ‘अग्निपथ’ रक्षा भर्ती योजना सहित कई मुद्दों पर असहमति के चलते भाजपा और जद (यू) के बीच संबंधों में काफी समय से खटास आ रही थी. इस बीच उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के आवास पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बैठक हुई जिसमें पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.
राज्य विधानसभा में इस समय विधायकों की संख्या 242 है जबकि बहुमत के लिए 122 विधायकों की आवश्यकता है. राजद के पास सबसे अधिक 79 विधायक हैं, उसके बाद भाजपा के पास 77 और जद (यू) के पास 44 विधायक हैं. जद (यू) को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के ंिहदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायकों और एक निर्दलीय का भी समर्थन प्राप्त है. कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं जबकि भाकपा (माले) के 12 और भाकपा तथा माकपा के पास दो-दो विधायक हैं. इसके अलावा एक विधायक असदुद्दीन ओवैसी की आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का है.
नीतीश ने सोनिया और राहुल से बात की, समर्थन के लिए आभार जताया
बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और महागठबंधन की तरफ से नयी सरकार का बनाने का दावा पेश करने वाले नीतीश कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से बात की तथा समर्थन के लिए उनका आभार जताया. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि नीतीश ने सोनिया और राहुल से फोन पर बात की और समर्थन के लिए आभार जताया.
सूत्रों ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार दिल्ली आने पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात भी कर सकते हैं. नीतीश कुमार ने मंगलवार को ‘‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्री’’ के तौर पर अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया और इसके बाद सर्वसम्मति से ‘महागठबंधन’ का नेता चुने जाने पर उन्होंने नयी सरकार बनाने का दावा पेश किया. वहीं, जद(यू) की गठबंधन सहयोगी रही भाजपा ने नीतीश कुमार पर ‘‘धोखा’’ देने का आरोप लगाया है.
लालू की बेटियों ने रोचक और तंज भरे ट्वीट के साथ भोजपुरी वीडियो पोस्ट किये
बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू यादव की दो पुत्रियां ने मंगलवार को रोचक व तंज भरे ट्वीट किए. एक बेटी ने अपने ट्वीट में संकेत दिया कि बिहार में सरकार बदलने वाली है, तो दूसरी ने बिहार को महान राजनीतिज्ञ चाणक्य का पर्याय बताया. रोहिणी आचार्य ने अपने एक ट्वीट में भोजपुरी गाना ‘लालू बिना चालू बिहार ना होई’ का वीडियो साझा किया. इसके साथ ही उन्होंने लिखा, ‘‘ राजतिलक की करो तैयारी, आ रहे हैं, लालटेनधारी.’ लालटेन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का चुनाव चिह्न है.
आचार्य ने अपने पिता को ‘ंिकगमेकर’ करार देते एक पोस्टर भी साझा किया है. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘‘बोया पेड़ बबूल का, आम कहां से होय.’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ सत्ता की भूख, पूरे देश से एक दिन भाजपा को ले डूबेगी.’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘भाजपा के लोगों ने हमें ‘डीपी’ बदलने को कहा था, हम लालूवादियों ने सरकार ही बदल दी.’’ लालू यादव की सबसे छोटी पुत्री राज लक्ष्मी यादव ने ट्विटर पर अपने पिता की एक पुरानी तस्वीर लगाई है जिसमें वह अपने बच्चों के साथ हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ शंखनाद! पहले दी पंख, अब देंगे उड़ान. चाणक्य मतलब बिहार, बिहारी मतलब चाणक्य. फर्जी चाण्क्यगिरी बिहार के बाहर चलाइयेगा. बोले बिहार- तेजस्वी भव: सरकार.’’