रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस समय फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला एक बार फिर गरमाया हुआ है। नई राजधानी स्थित धरना स्थल पर पिछले 4 दिनों से भूखे रहकर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन कर रहे युवाओ ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों में बैचैनी बढ़ा दी है। दरसल यह पूरा मामला तब का है जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था तब से अब तक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के साहारे आरक्षण, नौकरी एवं राजनीतिक लाभ लेने की शिकायत की गई थी।
जिस पर सरकार ने शिकायतों के निराकरण के लिए उच्च स्तरीय छानबीन समिति गठित किया, समिति को कुल 758 शिकायते मिली जिसमें से 659 प्रकरणों में जांच की गई जिसमे 267 ऐसे मामले थे जिसमें शिकायतें सही पाई गई जो फर्जी जाति के सहारे नौकरी एवं राजनैतिक लाभ ले रहे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र 7-16/2020/ 25.11.2020 के माध्यम से ऐसे लोग जिनकी जाति प्रमाण पत्र गलत पाए गए हैं उन्हें तत्काल महत्वपूर्ण पदों से अलग किया जाए एवं उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने के आदेश दिए गए।
सरपंच पार्षद से लेकर विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री के भी नाम शामिल
उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छावनी समिति द्वारा जारी आदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी एवं बेटे अमित जोगी का नाम भी शामिल है वही तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष पार्षद सरपंच से लेकर विधायकों के नाम भी सूची में शामिल किए गए हैं। इस पूरे मामले को लेकर विनय कौशल के नेतृत्व में मनीष गायकवाड़, हरेश बंजारे, आशीष टंडन, लव कुमार सतनामी, रोशन जांगड़े पिछले 4 दिनों यानी 19 तारीख से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पीआर बैठे है वही इस आंदोलन में दलित आदिवासी युवाओं ने समर्थन करते हुए आंदोलनरत है।
हमारे अधिकारों पर सेंधमारी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई एवं उन्हे तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए: आंदोलनकारी
पिछले 4 दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे युवाओं ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों का संरक्षण कर रही है यही वजह है कि कांग्रेस की सरकार 3 साल बाद भी अपराधियों पर कोई भी कार्यवाही तो नही कर पाई वही जिनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करना पाए गए हैं उन्हें प्रमोशन का इनाम भी दे रही है कांग्रेस सरकार में न्याय स्वयं कटघरे में नजर आ रही है।
वर्जन :- फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वालों के खिलाफ आमरण अनशन का आज चौथा दिन है। सत्ता में बैठे हुए लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं जो हमारे संवैधानिक अधिकारों की हत्या में मददगार साबित हो रहे हैं। हमारे लिए चिंता इस बात की भी है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में तमाम आरक्षित जनप्रतिनिधि इन मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन जब चुनाव का समय आता है तब तमाम आरक्षित जनप्रतिनिधियों को आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र ही नजर आता है लेकिन आज आरक्षित वर्ग के अधिकारों के साथ हो रहे डकैती हकमारी, लूटमारी पर वह लोग कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।
उच्च स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति बनाकर उनके ही रिपोर्ट को आधार मानते हुए शासन एवं प्रशासन कार्रवाई करने से डर रही है। आरक्षित वर्ग के हित में कुठाराघात करने के लिए सत्ता पक्ष एवं विपक्ष सब मिले हुए हैं। हमारे मुद्दे राजनीतिक विपक्ष के लिए भी कारगर साबित नहीं होते हैं। हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है।
अब होही न्याय कहकर सत्ता में आने वाली कांग्रेस की सरकार खुद कटघरे में है
तीन वर्ष बीत गए फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को तत्काल बर्खास्त कर कार्यवाही करने के आदेश को आज दिनांक तक पालन में नही लाया जा सका है। कार्यवाही करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ पैर क्यों फूल रहे हैं? सरकारी आदेश का पालन नहीं हो रहा हमारे हक-अधिकारों पर सेंधमारी हुई है हम 4दिनों से भूखे है अनिश्चित कालीन धरना दे रहे है। इस सरकार में वाकई न्याय होता है तो मुख्यमंत्री जी साबित करे जो दोषी लोग है उन्हे तत्काल बर्खास्त कर कानूनी कार्यवाही करे।