रायपुर: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग की प्रेस कांफ्रेंस के साथ ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। चुनाव प्रक्रिया को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए आयोग ने प्रत्याशियों के चुनावी खर्च पर कड़ी नजर रखने की तैयारी कर ली है। मेयर, पार्षद और पंचायत प्रत्याशियों के लिए चुनावी खर्च की सीमा तय कर दी गई है।
इस बार नगरीय निकाय चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से होंगे, जबकि पंचायत चुनाव पारंपरिक बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। चुनाव के लिए 14 नगर निगम, 54 नगर पालिकाओं और 124 नगर पंचायतों में प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
मेयर और अध्यक्षों के लिए खर्च सीमा
राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्षों के लिए खर्च की सीमा आबादी के आधार पर तय की है:
5 लाख से अधिक आबादी वाले नगर निगम: मेयर प्रत्याशी अधिकतम ₹25 लाख खर्च कर सकते हैं।
3-5 लाख की आबादी वाले नगर निगम: खर्च सीमा ₹20 लाख होगी।
3 लाख से कम आबादी वाले नगर निगम: खर्च सीमा ₹15 लाख निर्धारित की गई है।
नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्षों के लिए भी खर्च सीमा तय की गई है:
50 हजार से अधिक आबादी वाले नगर पालिका अध्यक्ष: अधिकतम ₹10 लाख।
50 हजार से कम आबादी वाले नगर पालिका अध्यक्ष: अधिकतम ₹8 लाख।
नगर पंचायत अध्यक्ष: अधिकतम ₹6 लाख खर्च कर सकते हैं।
पार्षदों के लिए भी सख्त नियम
पार्षदों के चुनावी खर्च की सीमा भी निर्धारित की गई है:
3 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगमों: पार्षद अधिकतम ₹8 लाख खर्च कर सकते हैं।
3 लाख से कम आबादी वाले नगर निगम: खर्च सीमा ₹5 लाख होगी।
नगर पालिका पार्षदों: ₹2 लाख।
पंचायत के लिए: अधिकतम ₹75 हजार तक खर्च कर सकते हैं।
आचार संहिता में क्या है खास
आचार संहिता लागू होते ही सरकारी घोषणाओं और भूमिपूजन कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है। सरकारी मंत्री अब नई योजनाओं का ऐलान नहीं कर सकेंगे। चुनाव प्रचार के दौरान नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं:
सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को बिना कलेक्टर की अनुमति के अवकाश पर जाने की इजाजत नहीं होगी।
सरकारी वाहनों, विश्रामगृहों और भवनों का चुनाव प्रचार के लिए उपयोग प्रतिबंधित रहेगा।
लाउडस्पीकर, वाहनों और प्रचार सामग्री पर सख्त निगरानी रखी जाएगी।
शिकायतों का तत्काल निपटारा सुनिश्चित किया जाएगा।