नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए एलान किया है कि वह 26 नवंबर को देशव्यापी अभियान चलाते हुए राजभवन के लिए मार्च करेगा।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का अगुआ रहे किसान संगठनों की इकाई संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की भविष्य की रूपरेखा तय करने के लिए आठ दिसंबर को बैठक बुलाई है। केंद्र सरकार ने बाद में तीनों कृषि कानून रद्द कर दिए थे। किसान 19 नवंबर को फतेह दिवस भी मनाएंगे क्योंकि केंद्र सरकार ने पिछले साल इसी दिन कानून रद्द करने की घोषणा की थी।
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संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन लाल ने यहां आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ”एक दिसंबर से 11 दिसंबर तक सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के कार्यालयों तक मार्च किया जाएगा।”
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संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के प्रति निराशा जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि नौ दिसंबर को आंदोलन खत्म होने के दिन केंद्र किसानों से लिखित में किए गए सभी वादों से मुकर गई है। एसकेएम ने दावा किया कि ना तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कमेटी का गठन हुआ ना ही आंदोलन के दौरान ‘किसानों पर दर्ज झूठे मुकदमे” वापस लिए गए। संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार किसानों की सबसे बड़ी मांग- एमएसपी पर गारंटी का कानून बनाने पर विचार करने के लिए तैयार है।