कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल भर्ती घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष जांच दल (एसआईटी) से दो अधिकारियों को हटा दिया है और चार नए जांचकर्ताओं को इसमें शामिल किया है। अदालत ने एक उप महानिरीक्षक (डीआईजी) को इस एसआईटी का प्रमुख नियुक्त किया है।
यह मामला स्कूल सेवा आयोग द्वारा सहायता प्राप्त एवं सरकारी विद्यालयों में तृतीय और चतुर्थ समूह के कर्मचारियों और शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने बुधवार को कहा कि सीबीआई इस मामले में बहुत धीमी गति से काम कर रही है और ‘इसका कारण उसे ही बेहतर तरीके से पता है।’ उन्होंने कहा कि पांच महीने पहले एसआईटी का गठन हो जाने के बावजूद चतुर्थ समूह में अवैध रूप से नौकरी पाने वालों के तौर पर नामजद 542 लोगों में से मात्र 16 से पूछताछ की गई है।
जांच की निगरानी कर रहे उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और तीन निरीक्षकों को एसआईटी में शामिल किया जाएगा। उसने एक डीएसपी और एक निरीक्षक को टीम से हटाए जाने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अगर इन सभी 542 उम्मीदवारों के खिलाफ गहन जांच की जाए, तो इस तरह की नियुक्तियों में किया गया अपराध सामने आएगा।’’
उन्होंने कहा कि जांच में देरी का एक कारण एसआईटी में सीबीआई अधिकारियों की कम संख्या हो सकती है। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने निर्देश दिया कि उप महानिरीक्षक अखिलेश ंिसह को टीम का नेतृत्व करने के लिए शहर वापस लाया जाए। जब अदालत ने एक साल पहले सीबीआई जांच का आदेश दिया था, उस समय ंिसह कोलकाता में तैनात थे।
न्यायाधीश ने सीबीआई के संबंधित प्राधिकरण को ंिसह को उनके वर्तमान कार्यभार से मुक्त करने का भी निर्देश दिया, ताकि वह ‘केवल इस भर्ती घोटाले में संगठित अपराध की जांच के उद्देश्य से’ कोलकाता आ सकें। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जांच पूरी होने तक डीआईजी ंिसह को उसकी अनुमति के बिना एसआईटी प्रमुख पद से नहीं हटाया जाना चाहिए।