नई दिल्ली : ज्योतिष पीठ व द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का आज रविवार को 99 वर्ष की आयु में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में निधन हो गया है. स्वरूपानंद सरस्वती ने नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली. शंकराचार्य बीमार चल रहे थे.
स्वरूपानंद सरस्वती ने नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली. जगद्गुरु शंकराचार्य पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे.
Dwarka Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati passes away at the age of 99, in Madhya Pradesh's Narsinghpur
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— ANI (@ANI) September 11, 2022
बीते दिनों स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी. स्वामी शंकराचार्य आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे. जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में हुआ था.
स्वरूपानंद सरस्वती जी का जन्म मध्य प्रदेश के सिवनी जिला के बेन गंगा के तट पर स्थित ग्राम दिघोरी में पंडित धनपति उपाध्याय और गिरिजा देवी के घर मे भाद्र शुक्ल तृतीया मंगलवार सम्वत 1982, वर्ष 2 सितंबर 1924 रात्रि में समय हुआ था.उनका बचपन का नाम पोथीराम रखा गया था.
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7 साल के उम्र में पिता की मृत्यु होने से वह बुरी टूट गए थे.महज 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया था. वह काशी भी पहुंचे और यहां उन्होंने स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली. साल 1942 के इस दौर में वो महज 19 साल की उम्र में वह क्रांतिकारी साधु बन गए थे.इस दौरान उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया.
स्वामी स्वरूपानंद 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे. ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से सन्यास दंड की दीक्षा ली थी और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे.उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली.