जलपाईगुड़ी: पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में एम्बुलेंस का किराया भरने में असमर्थ एक व्यक्ति अपनी मां का शव कंधे पर लादकर अस्पताल से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़ा। हालांकि, रास्ते में एक सामाजिक संगठन के सदस्यों ने इस व्यक्ति को वाहन मुहैया कराया, जिसने उसे मुफ्त में जिले के क्रांति ब्लॉक स्थित उसके घर पहुंचाया।
राम प्रसाद दीवान ने बताया कि उसकी 72 वर्षीय मां को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी और वह उन्हें बुधवार को जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले गया था। अगले दिन उसकी मां की मौत हो गई। दीवान ने कहा, ‘‘हमें अस्पताल पहुंचाने वाली एम्बुलेंस ने 900 रुपये किराया लिया था। लेकिन, बाद में एम्बुलेंस वाले ने शव घर ले पहुंचाने के लिए 3,000 रुपये मांगे। हम इतनी रकम भरने में असमर्थ थे।’’ दीवान के मुताबिक, उसने अपनी मां का शव एक लादर में लपेटा, अपने कंधे पर लादा और पैदल ही घर की तरफ चल पड़ा। इस दौरान उसके बुजुर्ग पिता भी उसके साथ थे।
अस्पताल के अधीक्षक कल्याण खान ने इस घटना को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें पता होता तो हम उनके लिए एक शव वाहन की व्यवस्था कर सकते थे। हम ऐसा नियमित रूप से करते हैं। परिवार संभवत: इससे वाकिफ नहीं था। उन्होंने हमसे संपर्क नहीं किया। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को इस बारे में जानकारी हो।’’
दीवान की मदद करने वाले सामाजिक संगठन के एक पदाधिकारी ने आरोप लगाया कि एम्बुलेंस संचालक मुफ्त सेवा उपलब्ध कराने वालों को अस्पताल के आसपास फटकने भी नहीं देते हैं। हालांकि, जिला एम्बुलेंस संघ ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि रेल और सड़क हादसों के दौरान उसके सदस्य भी मुफ्त सेवा उपलब्ध कराते हैं।