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प्रवासी मतदाताओं को मतदान के लिए अपने गृह राज्य/नगर जाने के झंझट से मिलेगी मुक्ति

सूरजपुर/31दिसम्बर 2022 : देश में कहीं से भी अपने गृह या मूल निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान करना अब संभव होगा। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने प्रोटोटाइप रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन विकसित की है। इसके जरिए प्रवासी मतदाताओं को मतदान के लिए अपने गृह राज्य/नगर जाने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहेब कंगाले ने दी है।

उन्होंने बताया है कि रोजगार, शादी, शिक्षा जैसे कई कारणों से मतदाताओं के आंतरिक या घरेलू प्रवासन के कारण कई बार मतदाता वोट नहीं दे पाते थे। रिमोट मशीन के आ जाने से वोटर टर्नआउट में सुधार आएगा और निर्वाचन में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी।

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आयोग ने बहु-निर्वाचन क्षेत्र प्रोटोटाइप रिमोट ईवीएम की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन करने के लिए सभी मान्यता प्राप्त 08 राष्ट्रीय और 57 राज्यीय दलों को 16 जनवरी 2023 को आमंत्रित किया है और उनसे 31 जनवरी 2023 तक लिखित मंतव्य देने का भी अनुरोध किया है। प्राप्त फीडबैक और प्रोटोटाइप के प्रदर्शन के आधार पर आयोग रिमोट मतदान पद्धति को क्रियान्वित करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

गौरतलब है कि प्रौद्योगिकीय तरक्की के युग में प्रवासन ¼Migration½ के आधार पर मतदान के अधिकार से वंचित करना स्वीकार योग्य विकल्प नहीं है। आम चुनाव-2019 में 67.4 प्रतिशत मतदान हुआ था और भारत निर्वाचन आयोग 30 करोड़ से अधिक निर्वाचकों द्वारा मतदान करने के अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करने और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मतदान का प्रतिशत अलग-अलग होने को लेकर सजग है।

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यह माना जाता है कि एक मतदाता द्वारा निवास के नए स्थान में पंजीकरण न कराने और इस तरह, मतदान करने के अधिकार का प्रयोग करने का अवसर गंवाने के अनेक कारण होते हैं। वोटर टर्नआउट में सुधार लाने और निर्वाचन में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रमुख बाधा आंतरिक प्रवासन (घरेलू प्रवासियों) के कारण मतदाताओं द्वारा मतदान न कर पाना भी है जिसका समाधान किया जाना आवश्यक है।

हलाकि, देश के भीतर प्रवासन के लिए कोई केंद्रीय डेटाबेस उपलब्ध नहीं है, फिर भी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चलता है कि रोजगार, शादी और शिक्षा से संबंधित प्रवासन समग्र घरेलू प्रवासन का महत्वपूर्ण घटक है। अगर हम समग्र घरेलू प्रवासन को देखें तो ग्रामीण आबादी के बीच बहिर्प्रवासन बड़े पैमाने पर देखा गया है। आंतरिक प्रवासन का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा राज्यों के भीतर होता है।

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मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद कुमार चमोली जिले के दुमक गांव के दूरस्थ मतदान केंद्र की अपनी पैदल यात्रा (ट्रैकिंग) से आंतरिक प्रवासन की समस्या से सीधे रूबरू हुए और उन्होंने अपना ध्यान इस बात पर केन्द्रित किया कि प्रवासी मतदाताओं को निवास के उनके वर्तमान स्थान से ही मताधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाया जाए। इस तरह के सशक्तिकरण को कार्यान्वित करने के लिए कानूनी, वैधानिक, प्रशासनिक और प्रौद्योगिकीय पहल की जरूरत है।

आयोग की टीम ने सभी सामाजिक-आर्थिक स्तरों पर प्रवासियों की चुनावी भागीदारी को संभव बनाने के लिए सर्वसमावेशी समाधान ढूंढने और मतदान करने की वैकल्पिक पद्धतियों जैसे कि दो-तरफ़ा प्रत्यक्ष ट्रांजिट पोस्टल बैलट, परोक्षी (प्रॉक्सी) मतदान, विशेष समय-पूर्व मतदान केंद्रों में जल्दी मतदान, डाक मतपत्रों का एकतरफा या दोतरफा इलेक्ट्रॉनिक प्रेषण (ईटीपीबीएस), इंटरनेट आधारित मतदान प्रणाली आदि सभी विकल्पों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।

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सभी हितधारकों के लिए विश्वसनीय, सुगम और स्वीकार्य प्रौद्योगिकीय समाधान की तलाश करने के उद्देश्य से निर्वाचन आयुक्त अनूप चन्द्र पाण्डेय आयोग और निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल के साथ मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोग ने घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए रिमोट मतदान केंद्रों अर्थात गृह निर्वाचन क्षेत्र के लिए रोजगार/शिक्षा स्थल के मतदान केंद्रों से मतदान करने में सक्षम करने के लिए समय की कसौटी पर खरे उतरे एम 3 ईवीएम मॉडल के संशोधित संस्करण का उपयोग करने का विकल्प ढूंढा है। इस तरह प्रवासी मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए वापस अपने गृह जिले की यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी।

आयोग सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित उद्यम के सहयोग से घरेलू प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी को संभव करने के लिए उनके रिमोट लोकेशन अर्थात शिक्षा/रोजगार आदि के प्रयोजन से उनके मौजूदा निवास स्थान से, उनके गृह निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान करने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक बहु-निर्वाचन क्षेत्र रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) को प्रायोगिक तौर पर शुरू करने के लिए तैयार है। ईवीएम का यह संशोधित रूप एक एकल रिमोट पोलिंग बूथ से 72 विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों पर मतदान करा सकता है।

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यदि यह पहल कार्यान्वित कर दी जाती है तो यह प्रवासियों के लिए एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन लेकर आने की क्षमता रखती है और उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने में मददगार होगी, क्योंकि कई बार वे विभिन्न कारणों जैसे कि उनके निवास स्थानों के नियमित तौर पर बदलने, प्रवास क्षेत्र के मुद्दों से सामाजिक और भावनात्मक रूप से पर्याप्त जुड़ाव न होने, अपने गृह/मूल निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावली से नाम कटवाने की अनिच्छुकता (चूंकि उनका वहां स्थायी निवास/संपत्ति होती है) से अपने कार्यस्थान पर स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत करवाने के प्रति अनिच्छुक रहते हैं।

आयोग ने बहु-निर्वाचन क्षेत्र प्रोटोटाइप रिमोट ईवीएम की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन करने के लिए सभी मान्यता प्राप्त 08 राष्ट्रीय और 57 राज्यीय दलों को 16 जनवरी 2023 को आमंत्रित किया है। इस अवसर पर आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे।

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आयोग ने अपेक्षित विधिक परिवर्तनों, प्रशासनिक प्रक्रियाओं में परिवर्तनों और घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए मतदान की पद्धति/आरवीएम/प्रौद्योगिकी, यदि कोई हो, सहित विभिन्न संबंधित मामलों पर मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों से 31 जनवरी 2023 तक लिखित मंतव्य देने का भी अनुरोध किया है। विभिन्न हितधारकों से प्राप्त फीडबैक और प्रोटोटाइप के प्रदर्शन के आधार पर आयोग रिमोट मतदान पद्धति को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया को उपयुक्त तरीके से आगे ले जाएगा।

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