रायपुर/20 नवंबर 2024। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने भाजपा सरकार पर वसूली गिरोह चलाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस सरकार का संरक्षण भ्रष्ट अधिकारियों को है, केवल कमीशनखोरी के लिए नियम कानूनों को दरकिनार कर अयोग्य कर्मचारियों को वसूली एजेंट के रूप में प्रमुख विभागों में बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है।
प्रदेश के स्वस्थ्य विभाग के अंतर्गत फार्मेसी काउंसिल इसका बड़ा उदाहरण है जहां फर्जी डिग्री के आरोपी रहे, क्लास 3 के फार्मासिस्ट को रजिस्टर के पद पर बैठाया गया है। सरकार के संरक्षण में इस अयोग्य व्यक्ति के द्वारा एक निर्वाचित मेडिकल काउंसिल के सदस्य के खिलाफ दुर्भावना पूर्वक कार्रवाई की गई है जो न केवल अनुचित है बल्कि वैधानिक भी है।
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पिछले 11 महीने से भाजपा सरकार के दौरान फार्मेसी काउंसिल में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री फर्जी रजिस्ट्रेशन के मामले मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के निर्वाचित सदस्य डॉक्टर राकेश गुप्ता ने उजागर किया था।
भाजपा सरकार के पाप पर पर्देदारी करने सप्रमाण किए गए गड़बड़ियों की शिकायतों पर कार्रवाई करने के बजाय अनुचित तरीके से शिकायतकर्ता को ही बाहर कर दिया गया। कानूनन रजिस्टर को यह अधिकार नहीं है कि एक्स ऑफिस मेंबर की सदस्यता को समाप्त कर सके। ना कोई नस्ति चली, न ही कमेटी ने निर्णय लिया और ना ही कोई नोटिस सर्व हुआ सीधे कार्यवाही नैसर्गिक न्याय के खिलाफ़ है।
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि स्टेट फार्मेसी काउंसिल में रजिस्टर के लिए कम से कम द्वितीय श्रेणी का राजपत्रित अधिकारी होना अनिवार्य शर्त है लेकिन वर्तमान में रजिस्ट्रार बनाए गए अश्वनी गुर्देकर का मूल पद फार्मासिस्ट है, जो तृतीय वर्ग में आता है फिर उसकी नियुक्ति रजिस्टर के तौर पर कैसे की गई?
इन्हीं के फार्मेसी काउंसिल के सदस्य के कार्यकाल में कार्यरत कर्मचारी अनिरुद्ध मिश्रा की अंकसूची फर्जी पाई गई, जिनके विरुद्ध एफआईआर के लिए प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें गुर्देकर की भी सहमति थी, फिर आज तक एफ आई आर क्यों नहीं किया गया? आखिर ऐसे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को संरक्षण देना सरकार की क्या मजबूरी है?
छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के गठन से अब तक किसी भी पदेन सदस्य को रजिस्टर द्वारा हटाया नहीं गया है यह पहला मामला है, जिसमें एमसीआई द्वारा भेजे गए पदेन सदस्य डॉ राकेश गुप्ता को तीन मीटिंग में नहीं आने पर हटा दिया गया, यह नेचुरल जस्टिस नहीं है, यह भी बताना आवश्यक है क्भ्ैए क्त्न्ळ ब्व्छज्त्व्स्स्म्त् भी मीटिंग में अपनी व्यस्तता के कारण मीटिंग में उपस्थित नहीं हो पाते तो उनकी भी सदस्यता क्यों नहीं समाप्त की गई।
बिना किसी पूर्व नोटिस के सदस्यता समाप्त करना यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार की शिकायत से एवं जांच से बचने के लिए योजनाबद्ध तरीके से सदस्यता समाप्त की गई है। खुद के सभी अनैतिक कार्यो पर चुप बैठ गए एवं अपनी मनमानी कर वित्तीय अनियमितता को छुपाने में लगे है। सरकार के इसी तरह के चरित्र से प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है।