लखनऊ: पचास वर्ष बाद राजस्व परिषद अमीनों को मिलने वाला साइकिल भत्ता बंद करके उन्हें मोटरसाइकिल भत्ता देने की तैयारी कर रहा है। अभी तक अमीनों को साइकिल भत्ते के रूप में 300 रुपये प्रतिमाह मिलते थे, इसे समाप्त करके मोटरसाइकिल भत्ते के रूप में 1,500 रुपये देने का प्रस्ताव विभाग ने तैयार किया है। जल्द ही प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा।
साथ ही अमीनों को बंदूक की बजाय पिस्टल, रिवाल्वर या अन्य शस्त्र का लाइसेंस देने की भी व्यवस्था बनाई जा रही है। राजस्व परिषद में वर्ष 1959 से अमीनों की तैनाती की व्यवस्था लागू की गई थी। इसके बाद 1974 से अमीनों को साइकिल भत्ता देने की व्यवस्था परिषद ने लागू की थी। वर्ष 1984 से 1996 तक अमीनों को 100 रुपये साइकिल भत्ता दिया जाता था।
वर्ष 1996 में साइकिल भत्ता बढ़ाकर 200 रुपये किया गया था। 2020 में सरकार ने इसे बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया था। सरकार अभी भी अमीनों का साइकिल भत्ता जारी रखना चाहती थी, लेकिन साइकिल की प्रासंगिकता लगभग समाप्त होने व अमीन संघ की मांग के बाद राजस्व परिषद की नींद टूटी है।
नतीजतन साइकिल भत्ता बंद करके मोटरसाइकिल भत्ता देने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके साथ ही अमीनों को बंदूक का लाइसेंस देने की व्यवस्था में भी बदलाव किया जा रहा है। अमीन संघ के साथ बीते दिनों हुई राजस्व परिषद प्रबंधन की बैठक में इस बात पर सहमति बन गई है कि अब अमीनों को बंदूक की बजाय पिस्टल, रिवाल्वर या अन्य शस्त्र लेने के लिए लाइसेंस जारी किया जाएगा। इसके लिए पुलिस सत्यापन की शर्त को आसान बनाने के लिए विभागीय मुखिया की संस्तुति पर लाइसेंस जारी किया जाएगा।