नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व तमिलनाडु मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की ज़मानत याचिका को मंजूरी दे दी है. यह मामला उनके जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तारी से संबंधित है.
कोर्ट ने यह निर्णय उन पर लगे आरोपों की सुनवाई में हो रही देरी को देखते हुए लिया है.
सुनवाई में क्या हुआ?
कोर्ट की बेंच, जिसमें न्यायाधीश अभय एस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मासिह शामिल थे, ने कहा, “हमने कुछ सख्त शर्तों के साथ ज़मानत दी है.” सुनवाई के दौरान बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पूछा कि क्या बालाजी के खिलाफ trial जल्द शुरू होने की संभावना है.
बालाजी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और सिधार्थ लुथरा ने पेशी दी. वहीं, ईडी का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और विशेष वकील जोहेब हुसैन ने किया.
बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट में ज़मानत के लिए आवेदन दिया था, क्योंकि मद्रास हाई कोर्ट ने 28 फरवरी को उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी.
ड्राविडा मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) के नेता बालाजी को 14 जून, 2023 को ईडी ने गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने तमिलनाडु परिवहन विभाग में बस कंडक्टरों, ड्राइवरों और जूनियर इंजीनियरों की नियुक्तियों में अनियमितताएं की थीं. ये आरोप उनके 2011 से 2015 तक परिवहन मंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान के हैं.
बालाजी की ज़मानत याचिका को चेन्नई की सत्र अदालत ने तीन बार खारिज किया था. इसके अलावा, पिछले साल अक्टूबर में उनकी मेडिकल ज़मानत की याचिका भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत देने के फैसले के बाद, अब बालाजी को कुछ सख्त शर्तों के साथ स्वतंत्रता मिली है. यह मामला तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है, और यह देखना होगा कि यह उनके राजनीतिक करियर पर कैसे प्रभाव डालता है. साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि ईडी इस मामले में आगे की कार्रवाई कैसे करती है.