बिलासपुर: लगभग आठ वर्षों से चल रहे वैवाहिक विवाद का अंत हो गया है। रायगढ़ निवासी पति और जांजगीर-चांपा निवासी पत्नी, जो 2015 से अलग-अलग रह रहे थे, ने आपसी सहमति से अपने मतभेद भुलाकर साथ रहने का निर्णय लिया।
मामला पहले फैमिली कोर्ट में था, जहाँ पति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी गई थी। इसके बाद पति ने 2017 में हाई कोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट के जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने इस मामले को समझौते के लिए मध्यस्थता केंद्र भेज दिया।
मध्यस्थ रणवीर सिंह मरहास के प्रयास और दोनों पक्षों के वकीलों की भूमिका से कई बैठकों के बाद पति-पत्नी ने साथ रहने का निर्णय लिया। 16 जुलाई 2024 को दोनों के बीच लिखित समझौता हुआ जिसमें दोनों ने कहा कि वे अपने बच्चे की परवरिश और अपने रिश्ते को बचाने के लिए अब साथ रहेंगे।
पत्नी ने कहा कि वह अब पति के निवास पर रहेंगी, और पति ने अपने खुद के मकान बनाने के लिए पत्नी से नैतिक समर्थन की उम्मीद जताई। पत्नी अब तक अपने मायके में रह रही थी, जहाँ उनका बेटा जांजगीर के एक निजी स्कूल में पढ़ रहा था। पिता ने बच्चे की मौजूदा सत्र की पूरी फीस जमा करा दी है। अगले सत्र में बेटे की शिक्षा के लिए रायगढ़ या जांजगीर में फैसला लिया जाएगा।