रायपुर : रेशम उत्पादन एक ग्रामीण कृषि आधारित उद्योग है जो कि विश्व स्तर पर अपनाया जा रहा है। प्राकृतिक टसर रेशम कीट पालन ग्रामीण कृषकों के लिए उत्तम है, जो रोजगार का बेहतर अवसर प्रदान करते हुए आय में वृद्धि का एक जरिया साबित हो रहा है। कृषकों द्वारा टसर रेशम कीटपालन कर वर्ष में दो बार कोसा फल की फसल ली जाती है। कोसा फल उत्पादन से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है
जशपुर जिले के फरसाबहार विकासखण्ड अंतर्गत पीपीसी केन्द्र सिंगी बिहार के 72 हेक्टेयर वन भूमि में रेशम विभाग द्वारा साजा, अर्जुना, टसर खाद्य पौधरोपण कराया गया है। इस केन्द्र में ग्राम उपर कछार के 20 हितग्राहियों द्वारा कीट पालन कर आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा रहा है। कीटपालक हितग्राहियों को सीएसबी मधुपुर जिला देवघर झारखंड द्वारा स्व.डिम्ब समूह प्रदाय किया जाता है जिससे यहाँ के हितग्राहियों द्वारा कोसा फल का उत्पादन कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।
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रेशम विभाग के सहायक संचालक ने बताया कि यहां पांच-पांच के सदस्यों का समूह है जो विगत कई वर्षों से कीट पालन कर रहे हैं। इस केन्द्र में कोसा फल निर्धारित मूल्य में विक्रय कर पीपीसी केन्द्र सिंगीबहार के स्व-सहायता समूह के माध्यम से हितग्राहियों को कोसाफल की राशि चेक द्वारा भुगतान किया जाता है। वर्ष 2022-23 में तिलेश्वर राम पिता रूदन राम ने प्रथम फसल में 21885 नग कोसाफल का उत्पादन कर लगभग 32 हजार 499 रुपये और द्वितीय फसल में 19410 नग कोसा उत्पादन कर 37 हजार 811 रुपये की आय अर्जित की। हितग्राहियों को इस कोसा फल उत्पादन से 70310 रुपये प्रति व्यक्ति को वार्षिक आय हुई है।
उल्लेखनीय है कि ग्रामोद्योग संचालनालय (रेशम प्रभाग) द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को टसर रेशम कीटपालन योजना से जोड़ने का अथक प्रयास किया जा रहा है। वनांचल में बसे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु अन्य कई योजनाओं से जोड़कर लाभान्वित किया जा रहा है।