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Hartalika Teej 2022: तीज व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस त्योहार का महत्व…

आज अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त करने के लिए सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज व्रत रख रही हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज के त्योहार का विशेष महत्व है। इस तीज में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। तीज की शाम के समय महिलाएं श्रृंगार करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं। हरतालिका तीज व्रत रखने और पूजा करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

हरतालिका तीज व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती अपने कई जन्मों से भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बाल अवस्था में अधोमुखी होकर तपस्या की थी। माता पार्वती ने इस तप में अन्न और जल का भी सेवन नही किया था। वह सिर्फ सूखे पत्ते चबाकर ही तप किया करती थी।माता पार्वती को इस अवस्था में देखकर उनके माता पिता बहुत दुखी रहते थे। एक दिन देवऋषि नारद भगवान विष्णु की तरफ से पार्वती जी के विवाह के लिए प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास गए। पार्वती जी के पिता ने तुरंत ही इस प्रस्ताव के लिए हां कर दी।

जब माता पार्वती को उनके पिता ने उनके विवाह के बारे में बताया तो वह काफी दुखी हो गई।उनकी एक सखी से माता पार्वती का यह दुख देखा नहीं गया और उन्होंने उनकी माता से इस विषय में पूछा। जिस पर उनकी माता ने उस सखी को बताया कि पार्वती जी शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तप कर रही हैं। लेकिन उनके पिता चाहते की पार्वती का विवाह विष्णु जी से हो जाए। इस पर उनकी उस सहेली ने माता पार्वती को वन में जाने कि सलाह दी।जिसके बाद माता पार्वती ने ऐसा ही किया और वो एक गुफा में जाकर भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गई थी। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का बनाया और शिव जी की स्तुति करने लगी। इतनी कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को दर्शन दिए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया।

हरतालिका तीज पर आज जरूर करें इन मंत्रों का जाप
देवी मंत्र- ऊँ गौर्ये नम: और गौरी मे प्रीयतां नित्यं अघनाशाय मंगला। सौभाग्यायास्तु ललिता भवानी सर्वसिद्धये।।
शिव मंत्र- ऊँ नम: शिवाय
गणेश जी के मंत्र- श्री गणेशाय नम:

क्यों लगाई जाती है हरतालिका तीज पर मेहंदी?
तीज का त्योहार प्यार,समर्पण, भक्ति और उल्लास का पर्व होता है। तीज के त्योहार में विशेष रूप से श्रृंगार करने का महत्व है। इसमें सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा उपासना करती हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज पर मेहंदी के बिना अधूरा माना जाता है। हरतालिका तीज समेत अन्य तीज पर्व पर हाथों में मेहंदी जरूर रचाई जाती है। मेहंदी का गहरा लाल रंग पति के प्रेम को दर्शाता है। तीज पर्व पर मेहंदी लगाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने मन में भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और उन्हें प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हाथों में मेहंदी लगाई थी जिसे देखकर भगवान अत्यंत प्रसन्न हुए थे और मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।

हरतालिका तीज व्रत करने के नियम
हरतालिका तीज का व्रत पूरे दिन निर्जला रखते हुए किया जाता है। ऐसे में जो सुहागिन महिलाएं इस तीज का व्रत और पूजा पहली बार करने जा रही हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे किसी भी परिस्थिति में व्रत को बीच में न छोड़े। जिन महिलाओं को इस बीच पीरियड से गुजरना पड़ रहा है वे भगवान की मूर्ति और पूजा सामग्रियों को न छुएं और दूर रहते हुए कथा आदि सुनें। पूजा के बाद रात्रि का जागरण करते हुए मंत्रों और कथा का पाठ करते रहना चाहिए।

हरतालिका पूजा विधि
– हरतालिका तीज के लिए सबसे पहले भगवान शिव, माता पार्वती,भगवान गणेश, पुत्र कार्तिकेय और नंदी की बालू और काली मिट्टी का इस्तेमाल करते हुए अपने हाथों से प्रतिमा बनाएं।
– इसके बाद पूजा का संकल्प लेते हुए पूजा स्थल की साफ सफाई करके वहां पर चौकी रखें और चौकी को माला फूल और केले के पत्ते से सजावट करते हुए बनाई गई शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
– हरतालिका व्रत का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद का समय प्रदोष काल जाता है।
– इसके बाद सभी देवताओं का आवहन करते हुए सबसे पहले भगवान गणेश की आराधना करते हुए भगवान शिव,माता पार्वती और भगवान गणेश व कार्तिकेय का षोडोशओपचार पूजन करें।
– भगवान शिव को अर्पित करने के लिए एकत्रित सभी पूजा सामग्रियों का एक के बाद एक उन्हें अर्पित करें फिर माता पार्वती को सुहाग की सभी चीजों को माता पार्वती को चढ़ाएं।
– पूजन के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और बाद में सभी महिलाएं मिलकर हरतालिका तीज व्रत की कथा सुने और रात्रि में जागरण करें।

हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएं
तीज का त्योहार आपकी जीवन में खुशियां लेकर आए,
जीवनसाथी और बच्चों के लिए सेहत का वरदान लाए
हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएं

हरतालिका तीज व्रत है प्यार का,
दिल में श्रद्धा और सच्चे विश्वास का,
बिछिया पैरों में हो माथे पर बिंदिया,
हर जन्म में मिले आपको शिव जी सा पिया
हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएं

हरतालिका तीज का त्योहार है,
गुझियों की बहार है,
पेड़ों पर पड़े हैं झूले,
दिलो में सबके प्यार है…
हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएं

हरतालिका पूजा थाली की जरूरी सामग्री
तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। हरतालिका तीज का त्योहार भी इसी में एक है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज व्रत आज यानी 30 अगस्त 2022 को है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के साथ व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती संग उनके परिवार के सभी गणों की पूजा करती हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से बहुत लाभ मिलता है।

हरतालिका तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष पूजा सामग्रियों का होना बहुत ही जरूरी होता है। भगवान शिव की पूजा उपासना के लिए हरतालिका पर्व पर उन्हें बेलपत्र, शमी,धतूरे का फल, घी, शहद, गुलाल, चंदन, मंजरी, कलावा, इत्र, पांच फल, सुपारी, अक्षत, धूप, दीप, कपूर, गंगाजल, दूर्वा और जनेऊ आदि अर्पित किया जाता है वहीं माता पार्वती के लिए श्रृंगार की चीजों को चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। जिसमें सुहाग की सामग्री में बिंदी, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, महावर आदि को शामिल किया जाता है।

हरतालिका व्रत में सुहाग सामग्री का महत्व
हरतालिका तीज पर सुहाग की चीजों को विशेष महत्व होता है। हरतालिका तीज में मां पार्वती संग भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसमें माता पार्वती को सुहाग की सभी चीजों का चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। हरतालिका तीज में सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए शाम के समय शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा प्रारंभ करती हैं। इसमें मां पार्वती को सुहाग की सभी चीजें जैसे बिंदी, सिंदूर,बिछिया, चूड़ी, कंघी, कुमकुम, ओढ़नी,महावर और मेहंदी अर्पित करती हैं।

हरतालिका तीज व्रत का महत्व
हरतालिका तीज का व्रत कठिन व्रतों में से एक है। इसमें सुबह से बिना कुछ खाए व पिए दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि मां पार्वती ने कठोर तपस्या करते हुए भगवान शिव को पति रूप में पाया था। तभी से हर वर्ष यह हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महीलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए रखती हैं। इसमें व्रती सुहागिन महिलाएं सुहाग की सभी चीजों को मां पार्वती को अर्पित करती हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अखंड सौभाग्य का त्योहार हरतालिका तीज मनाया जाता है। धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसे भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए दिन भर बिना कुछ खाए व पीए व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज पर भगवान शिव, माता पार्वती,भगवान गणेश और कार्तिकेय भगवान की पूजा करते हुए महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रत रखती है। हरतालिका तीज वर्ष में आने वाले सभी तीनों तीज के त्योहार में सबसे श्रेष्ठ माना गया है।

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