नई दिल्ली: सरकार द्वारा ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. सैय्यद इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन के सम्मान में आज 21 मई को एक दिवस का राजकीय शोक घोषित किया गया है।
इस दौरान देशभर की सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन सहित सात अन्य लोगों की एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई।
भारत के लिए महत्वपूर्ण थे रईसी
राष्ट्रपति रईसी की आकस्मिक मौत भारत के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने चीन और पाकिस्तान के दबाव के बावजूद चाबहार बंदरगाह को भारत को सौंपने का मार्ग प्रशस्त किया था। उन्होंने कश्मीर मामले पर भी हमेशा भारत का समर्थन किया।
भारत ने हाल ही में ईरान के चाबहार में स्थित शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के संचालन और विकास के लिए 10 साल का अनुबंध प्राप्त किया था, जो कि भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक पहुंच का महत्वपूर्ण मार्ग है।
राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर रविवार को पूर्वी अजरबैजान प्रांत के पर्वतीय वन क्षेत्र में पहाड़ियों से टकराकर क्रैश हो गया था। घटना के समय घना कोहरा और खराब मौसम था, जिससे खोज एवं बचाव दल को दुर्घटनास्थल तक पहुंचने में काफी कठिनाई हुई। बचाव दल सोमवार सुबह तक दुर्घटनास्थल पर पहुंच पाया।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने राष्ट्रपति रईसी की मौत पर पांच दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। इस राजकीय शोक के दौरान ईरान में विभिन्न सरकारी और सार्वजनिक कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं।
राष्ट्रपति रईसी की आकस्मिक मृत्यु न केवल ईरान के लिए बल्कि भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक बड़ी क्षति है। उनकी नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक समझ का प्रभाव भारत-ईरान संबंधों पर लम्बे समय तक देखा जाएगा।