spot_img
Homeबड़ी खबरKuno National Park: विशेषज्ञ ने बताया- अभी और चीतों की मौत की...

Kuno National Park: विशेषज्ञ ने बताया- अभी और चीतों की मौत की आशंका, 5-7 चीते ही जिंदा रह सकेंगे…

भोपाल/नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) को लेकर डरावनी खबर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट और देश के चीता प्रोजेक्ट को तगड़ा झटका लग सकता है. दरअसल, चीता प्रोजेक्ट से जुड़े दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क लाए गए 20 चीतों में से केवल 5-7 चीते ही जिंदा रह सकेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत में हो रही चीतों की मौतें सामान्य हैं. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने 1966 में चीतों को लेकर प्रोजेक्ट शुरू किया. उन्हें चीतों को अपनी पहचान बनाने में 26 साल लगे. इस दौरान 200 चीतों की मौत भी हुई.

विशेषज्ञों ने बताया कि चीतों की सुरक्षा करने में मौसम सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने बताया कि चीता प्रोजेक्ट को सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा जब तीन चीतों की मौत सेप्टीसीमिया से हुई. सेप्टीसीमिया एक ऐसी स्वास्थ्य परिस्थिति है जिसमें मरीजों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है. ये खून में बड़े स्तर पर खास तरह का कैमिकल बनाता है. इस कैमिकल से शरीर में सूजन बढ़ने लगती है. आखिर में मरीज मल्टी ऑर्गन फैलियर का शिकार हो जाता है.

विशेषज्ञों ने बताया क्या है चीतों की मौत की वजह
उन्होंने बताया, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, चीते विदेशों में अप्रैल-मई में सर्दी का अंदाजा लगाते हुए अपनी चमड़ी मोटी कर लेते हैं. जबकि, भारत में इन दोनों महीनों में जबरदस्त गर्मी पड़ती है. इस वजह से उन्हें स्किन इंफेक्शन हो गया. विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में चीतों का ट्रीटमेंट किया गया है. इस ट्रीटमेंट को अगले साल मानसून आने से पहले तक जारी रखना होगा. इससे पैरासाइट कम होंगे और चीतों की समय पर इम्यूनिटी भी बढ़ जाएगी. विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि चीतों की चमड़ी मोटी करने की विशेषज्ञता पर भी नजर रखनी होगी. चीते समय के साथ इस परिवर्तन को ढाल लेंगे.

साल 2024 तक दो और नेशनल पार्कों का विकल्प खोजे सरकार- विशेषज्ञ
दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में आने वाले समय में अभी 50 और चीतों को लाना होगा. उन्हें केवल कूनो नेशनल पार्क नहीं, बल्कि अन्य जगहों पर भी अलग-अलग स्थापित करना होगा. उनका कहना है कि चीता प्रोजेक्ट के लिए साल 2024 के अंत तक भारत सरकार को कूनो के अलावा दो अन्य नेशनल पार्कों की व्यवस्था करनी होगी, जिसमें चीतों को अलग-अलग रखा जा सके. इससे उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि चीतों के लिए फेंसिंग वाले बाड़े जरूरी हैं. उन्होंने आगे आने वाले समय में चीतों को पालने के लिए गांधी सागर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क का नाम सुझाया.

RELATED ARTICLES
spot_img
- Advertisment -spot_img

ब्रेकिंग खबरें

spot_img