प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी ने छत्तीसगढ़ की फिजां और छत्तीसगढिय़ों का मन बदला…

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रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया है। वोटिंग के एक हफ्ते पहले तक राज्य में कांग्रेस सरकार की वापसी की बात हर जुबां पर थी। हर किसी को यही लग रहा था प्रदेश में भाजपा कहीं भी लड़ाई में नहीं है और कांग्रेस सरकार भूपेश बघेल की योजनाओं और गारंटियों के दम पर फिर से सत्ता में काबिज होगी। ऐसा लग भी रहा था क्योंकि 15 साल सत्ता में रहने के बाद 15 सीटों पर सिमटी भाजपा प्रदेश में लगभग मृतप्राय हो गई थी।

अवसरों के बाद भी न तो विधानसभा में और न ही सांगठनिक तौर पर भाजपा एक्टिव नजर आ रही थी। चुनाव समीक्षक टीवी डिबेट में प्रदेश में भाजपा को दोनों ही तौर पर काफी कमजोर बता रहे थे। लेकिन चुनाव के पहले केन्द्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में संगठन में नई नियुक्तियों और जिम्मेदारियों से कसावट और सक्रियता आई।

चुनाव के चाणक्ट अमित शाह की रणनीतियों और फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मैजिक और गारंटी ने छत्तीसगढ़ की फिजां और छत्तीसगढिय़ों का मन बदल दिया। परिणाम सत्ता परिवर्तन और सरकार में बीजेपी की वापसी हुई। यह जीत छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। ‘मोदी की गारंटी’ के जरिये भाजपा खुद को कांग्रेस से बेहतर विकल्प साबित करने में कामयाब हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रदेश में हुई आधा दर्जन सभाओं और रैलियों ने कांग्रेस की गारंटियों की हवा निकाल दी।

रही सही कसर महादेव एप और शराब घोटाले ने पूरी कर दी। पार्टी की इस सफलता के पीछे संघ की भी सक्रिय भूमिका रही। पिछले चुनाव में शहरी इलाकों तक सीमित हुई पार्टी को गांवों में बूथ स्तर तक मजबूती दी। छत्तीसगढ़ में इस बार महिला मतदाताओं की संख्या भी पुरुषों की तुलना में लगभग सवा लाख अधिक थी।

इसे देखते हुए पार्टी ने मध्यप्रदेश की लाडली बिटिया की तर्ज पर महतारी वंदन योजना के तहत सालाना 12 हजार रुपये की गारंटी का वादा कर महिलाओं मतदाताओं को साधा। महिलाओं को इस योजना से भावनात्मक रूप से जोडऩे के लिए उनके फार्म भी भरवाए।

शराबबंदी को लेकर कांग्रेस की वादाखिलाफी से पहले से नाराज महिलाओं ने भी इसे हाथोंहाथ लिया। हालांकि, दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले कांग्रेस ने मातृवंदन के मुकाबले गृहलक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को सालाना 15 हजार रुपये देने का वादा तो किया, पर तब तक बहुत देर हो चली थी।

रेवडिय़ों की मुगालते में रह गई कांग्रेस : कर्जमाफी जैसी रेवडिय़ां बांटकर मतदाताओं का भरोसा जीतने की कांग्रेस की कोशिश कामयाब नहीं हुई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस नेताओं को यही भरोसा था कि मतदाताओं के आगे रेवडिय़ों की झड़ी लगाकर वे भाजपा की किलेबंदी को भेद लेंगे।

मगर, कमजोर रणनीति के चलते भाजपा की ओर से उठाए गए भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, विकास, हिंदुत्व और धर्मांतरण जैसे मुद्दे दरकिनार करते गए। यही नहीं, चुनाव जैसे नाजुक दौर में भी पार्टी सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बैठाने में नाकामयाब साबित हुई।

प्रदेश के नेता भी नतमस्तक: प्रदेश के नेता भी मान रहे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मैजिक ही था जिसने छत्तीसगढ़ में हवा का रुख पलट दिया। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के एक्स पर किए पोस्ट से भी साबित हो रहा है-प्रदेश में भाजपा की प्रचंड विजय पर हमारे नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक परिश्रम और कुशल नेतृत्व के लिए हृदय से आभारी हूं।

आज हमारे संकल्प पत्र ‘मोदी की गारंटी’ और प्रधानमंत्री मोदी समेत केंद्रीय नेताओं के वादों पर जनता ने विश्वास जताकर विजय तिलक किया है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में यह जीत छत्तीसगढ़ के एक-एक व्यक्ति की जीत है।

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