नई दिल्ली : जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हजारों महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोप झेल रहे प्रज्वल रेवन्ना का डिप्लोमैटिक पासर्पोट रद्द हो सकता है. कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने अब मोदी सरकार को पत्र लिखकर प्रज्वल रेवन्ना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने की मांग की है.
मालूम हो कि JDS पहले ही रेवन्ना को पार्टी से निष्कासित कर चुकी है. साथ ही राज्य सरकार उनके खिलाफ SIT जांच कर रही है. न्यूज एजेंसी PTI ने बताया कि विदेश मंत्रालय रेवन्ना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने के कर्नाटक सरकार के अनुरोध पर कार्रवाई कर रहा है.
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आधिकारिक सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी PTI ने बताया कि विदेश मंत्रालय को कर्नाटक सरकार से एक पत्र मिला है, जिसमें रेवन्ना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने का अनुरोध किया गया है. PM मोदी को लिखे अपने पत्र में सिद्दारमैया ने कहा, ‘यह निंदनीय है कि 27 अप्रैल 2024 को अपने शर्मनाक कृत्य की वजह से चर्चा में आए प्रज्वल रेवन्ना अपने राजनयिक पासपोर्ट के सहारे जर्मनी भाग जाता है. ऐसे में उसका पासपोर्ट रद्द किया जाना चाहिए.’
जानकारी के मुताबिक, सीएम सिद्धारमैया के पत्र का जवाब विदेश मंत्रालय ने दिया है. मंत्रालय ने कहा, ‘कार्रवाई जारी है. जल्द ही प्रज्वल रेवन्ना की स्वदेश वापसी होगी.’ प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का पोता है. बताया जाता है कि हासन से सांसद प्रज्वल ने पिछले महीने के अंत में भारत छोड़ दिया था. इससे ठीक एक दिन पहले ही उसके निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ था.
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सूत्रों ने बताया, ‘विदेश मंत्रालय को सांसद प्रज्वल रेवन्ना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने के लिए कर्नाटक सरकार से पत्र मिला है. उस पर कार्रवाई की जा रही है.’ कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बुधवार को कहा था कि केंद्र सरकार रेवन्ना के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट के आधार पर उसका राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने के अनुरोध का जवाब नहीं दिया है. प्रज्वल पर महिलाओं के साथ यौन शोषण के कई मामले दर्ज हैं. ये मामले कथित तौर पर उससे जुड़े कई अश्लील वीडियो सार्वजनिक होने के बाद सामने आए.
इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि रेवन्ना ने राजनयिक पासपोर्ट पर जर्मनी की यात्रा की और यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी नहीं मांगी. उन्होंने बताया था, ‘उक्त सांसद की जर्मनी यात्रा के संबंध में विदेश मंत्रालय से न तो कोई राजनीतिक मंजूरी मांगी गई थी और न ही जारी की गई थी.’