मुंबई: वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि आईसीआईसीआई बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में उनकी गिरफ्तारी अनावश्यक है क्योंकि वह जांच में सहयोग कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने दावा किया कि धूत जांच से बचने की कोशिश कर रहे थे।
सीबीआई ने धूत को 26 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं। धूत ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने तथा अंतरिम जमानत दिए जाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पी के चव्हाण की खंडपीठ ने धूत के वकील संदीप लड्ढा और सीबीआई के वकील राजा ठाकरे दोनों की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम राहत पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
अधिवक्ता लड्ढा ने तर्क दिया कि दिसंबर 2017 में ‘‘प्राथमिक जांच’’ (पीई) दर्ज किए जाने के बाद से धूत सीबीआई के समक्ष 31 बार पेश हो चुके हैं। उन्होंने कहा ‘‘मामले में धूत को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। यहां तक कि जब आरोपपत्र दायर किया गया था, तब भी धूत संबंधित अदालत के सामने पेश हुए थे। और तब अदालत ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि धूत पिछले महीने भी दो बार सीबीआई के सामने पेश हुए थे। अधिवक्ता ने कहा कि दो अन्य तारीखों (23 और 25 दिसंबर को) पर इसलिए पेश नहीं हो पाए थे क्योंकि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय पहले ही समन भेज चुका था।
उन्होंने कहा ‘‘सीबीआई उनके दो दिनों तक पेश नहीं होने को असहयोग बता रही है। सीबीआई ने 25 दिसंबर को धूत को नोटिस जारी किया… वह 26 दिसंबर को पेश हुए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।’’ सीबीआई के वकील राजा ठाकरे ने कहा कि धूत को दिसंबर 2022 को समन किया गया था ताकि आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के साथ आमने सामने बिठा कर उनसे पूछताछ की जा सके। कोचर दंपती को 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था।
ठाकरे ने कहा ‘‘धूत और कोचर दंपती ने जांच से बचने के लिए एक सुनियोजित प्रयास किया है। यह साजिश का मामला है। जब वे बाहर होते हैं (गिरफ्तार नहीं) तो वे सटीक जवाब देना तय करते हैं। लेकिन जैसे ही एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो जाता है और वे एक-दूसरे पर उंगलियां उठाने लगते हैं।’’
उन्होंने कहा कि सीबीआई तीनों आरोपियों को पूछताछ के लिए साथ लाना चाहती है। ठाकरे ने कहा, ‘‘समन किए जाने के बावजूद, उन्होंने (धूत ने) पेश होने से इनकार कर दिया। तब कोचर दंपती कुछ समय के लिए सीबीआई की हिरासत में थे और इसलिए जांच एजेंसी धूत के साथ उनका आमना-सामना कराना चाहती थी।’’
जब उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या धूत की गिरफ्तारी के बाद तीनों से एक साथ पूछताछ की गई, ठाकरे ने बताया कि उनसे 26 और 27 दिसंबर को एक साथ पूछताछ की गई थी। लेकिन धूत के वकील ने कहा कि यह सच नहीं है। उन्होंने दावा किया कि उद्योगपति को गिरफ्तारी के बाद कभी भी कोचर दंपती के साथ बिठा कर पूछताछ नहीं की गई।
ठाकरे ने आगे कहा कि सिर्फ इसलिए कि किसी आरोपी को गिरफ्तार करने में देरी हुई, गिरफ्तारी अवैध या अनुचित नहीं हो जाती।
उन्होंने कहा, ‘‘ये मामले गंभीर हैं, बड़ी रकम के लेन-देन से जुड़े हैं जिनकी जांच करना आसान नहीं है। बहुत सावधानी की आवश्यकता है।’’
सीबीआई के वकील ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को जल्दबाजी में गिरफ्तार किया जाता है, तब जांच एजेंसी को आरोप पत्र दाखिल करने के वास्ते निर्धारित समय के भीतर जांच करनी होती है। सीबीआई ने कोचर दंपति, दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2019 के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया है।
एजेंसी का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रर्वितत वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंंिकग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिजÞर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं।
प्राथमिकी के अनुसार, इस मंजूरी के एवज में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल स्थानांतरित की। पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट तथा एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था।