नई दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जरिए लोकसभा एवं राज्यसभा में लाए गए वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 पर समर्थन दिए जाने के बाद जेडीयू पार्टी के मुस्लिम नेताओं में आक्रोश है. इसको लेकर नेताओं के जरिए इस्तीफे का दौर जारी है. औरंगाबाद में भी मुख्यमंत्री के इस निर्णय से जेडीयू के कई नेता बेहद नाराज है और शनिवार को एक प्रेसवार्ता कर सामूहिक रूप से अपना इस्तीफा सौंपा है.
इस्तीफा देने वालों में 27 वर्ष से समता पार्टी की स्थापना के समय से साथ दे रहे जिला उपाध्यक्ष जहीर अहसन आजाद, जिला महासचिव अतहर हुसैन मंटू, 20 सूत्री सदस्य मोहम्मद इलियास खान, पूर्व वार्ड पार्षद सईद अनवर हुसैन, वार्ड पार्षद खुर्शीद अहमद, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष फकरे आलम, मुजफ्फर इमाम कुरैशी सहित दर्जनों पार्टी से जुड़े मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दिया है.
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नेताओं ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल 2024 का समर्थन करने वाले नीतीश कुमार अब सेकुलर नहीं रहे. वे पंगु बनकर रह गए हैं. जिस तरह केंद्रीय मंत्री ललन सिंह लोकसभा में इस बिल पर अपना पक्ष रख रहे थे, ऐसा लग रहा था कि कोई बीजेपी का मंत्री बोल रहा है. मुख्यमंत्री से बात करने की कोशिश मुस्लिम संस्थाओं के कई नेताओं ने करनी चाही थी, लेकिन उन्होंने किसी से मुलाकात ना कर यह साबित कर दिया कि वह बिल के समर्थन में हैं.
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नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस निर्णय से उनके दिलों पर गहरा आघात लगा है. जेडीयू पार्टी अब ललन सिंह और संजय झा जो बीजेपी से मिलकर पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं उनके हाथ में चली गई है. मुसलमान को पूरा भरोसा था कि जेडीयू बिल के विरोध में जाएगी, लेकिन जोडीयू ने बिल का समर्थन करके पूरे देश के मुसलमान का भरोसा तोड़ा है और धोखा दिया है.
नेताओं ने कहा कि कहीं गड़बड़ी थी तो गड़बड़ी को सुधारने की जरूरत थी. वक्फ में हिंदुओं को क्यों लाया गया? क्यों नहीं हिंदुओं के मंदिरों और विभिन्न संस्थानों में मुस्लिम को रखा गया है. यह अधूरी नीति नहीं चलने वाली है. आने वाले समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसका खामियाजा भुगताना होगा और देश के मुसलमान उन्हें करारा जवाब देंगे.