नई दिल्ली : आज राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तमिलनाडु, केरल समेत 15 राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की है। छापेमारी के दौरान 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिन राज्यों में एनआईए ने छापेमारी की है उनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। पीएफआई और उससे जुड़े लोगों की ट्रेनिंग गतिविधियों, टेरर फंडिंग और लोगों को संगठन से जोड़ने के खिलाफ ये अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आज PFI पर 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापा मारा। केरल-39, तमिलनाडु-16, कर्नाटक-12, आंध्र प्रदेश-7, तेलंगाना-1, उत्तर प्रदेश-2, राजस्थान-4, दिल्ली-2, असम-1, मध्य प्रदेश-1, महाराष्ट्र-4, गोवा-1, पश्चिम बंगाल-1, बिहार-1 और मणिपुर में 1 स्थान पर छापा मारा। सूत्रों के मुताबिक, NIA के करीब 300 अधिकारी तलाशी अभियान में शामिल रहे। NIA डीजी ने ऑपरेशन की निगरानी की। 2010-11 से पहले PFI मामलों में कुल 46 आरोपियों को दोषी ठहराया गया था और PFI के खिलाफ मामलों में 355 आरोपियों पर पहले ही आरोपपत्र दायर किया जा चुका है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और ED ने मलप्पुरम जिले के मंजेरी में पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष OMA सलाम के अलावा PFI के दिल्ली हेड परवेज अहमद के घर पर छापेमारी की और गिरफ्तार कर लिया है। इस दौरान PFI कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा कर्नाटक के मंगलुरु में भी NIA की छापेमारी के खिलाफ PFI और SDPI के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि इन्हें हिरासत में ले लिया गया है।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) क्या है?
पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है।
देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। इसमें महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं। यहां तक कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव के वक्त एक दूसरे पर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पाने के लिए पीएफआई की मदद लेने का भी आरोप लगाती हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।