spot_img
HomeBreakingछत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बनेगा राज्य का पहला एक्वा पार्क

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बनेगा राज्य का पहला एक्वा पार्क

रायपुर, 18 मई 2025 : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बनेगा राज्य का पहला एक्वा पार्कछत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बनेगा राज्य का पहला एक्वा पार्कछत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बनेगा राज्य का पहला एक्वा पार्कछत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बनेगा राज्य का पहला एक्वा पार्क

हसदेव-बांगो जलाशय के डूबान क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज्य का पहला एक्वा पार्क विकसित किया जा रहा है, जो राज्य में मछली पालन, प्रसंस्करण एवं पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसरों का सृजन करेगा। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत भारत सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए 37 करोड़ 10 लाख 69 हजार रुपये की स्वीकृति दी गई है। यह एक्वा पार्क कोरबा जिले के एतमानगर और सतरेंगा क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।

एतमानगर में स्थापित किए जाने वाले एक्वा पार्क में फीड मिल, फिश प्रोसेसिंग प्लांट, हेचरी एवं रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम की स्थापना की जाएगी। इसके माध्यम से मछलियों के उत्पादन से लेकर उनकी प्रोसेसिंग एवं निर्यात तक की समग्र व्यवस्था होगी। फिश प्रोसेसिंग प्लांट में मछलियों की सफाई, बोन हटाकर फिले तैयार करना और उच्च गुणवत्ता पैकिंग कर निर्यात की सुविधा होगी।

इसे भी पढ़ें :-देश की तरक्की के लिए समाज का जागरूक होना जरूरी – अरुण साव

हेचरी के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले मत्स्य बीज का उत्पादन किया जाएगा। सतरेंगा में एक्वा पार्क का विस्तार कर एक्वा म्यूजियम, एंगलिंग डेस्क, कैफेटेरिया, फ्लोटिंग हाउस तथा मोटर बोट जैसी पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाएंगी। यह स्थल मछली पालन की जानकारी, मनोरंजन और ताजे जल की मछलियों के स्वाद का समागम स्थल बनेगा।

गौरतलब है कि हसदेव जलाशय के सरभोंका स्थित निमउकछार क्षेत्र में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना तथा जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) के सहयोग से लगभग 800 नग केज की स्थापना की गई है। इन केजों के माध्यम से मछली पालन हेतु 9 पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों के 160 सदस्यों का चयन किया गया, जिन्हें 5-5 केज आवंटित किए गए हैं।

इसे भी पढ़ें :-शहर की स्वच्छता में स्वच्छता दीदियों की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका : उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन

केज कल्चर के माध्यम से ग्रामीणों को औसतन 88 हजार रुपये वार्षिक आमदनी प्राप्त हो रही है। मछुआरा समिति के सदस्यों दीपक राम मांझीवार, अमर सिंह मांझीवार एवं महिला सदस्य देवमति उइके ने बताया कि इस तकनीक ने उन्हें न केवल रोजगार दिया है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी है। मत्स्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगभग 1600 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हो रहा है, जिससे प्रतिदिन 70-80 लोगों को प्रत्यक्ष एवं 15-20 चिल्लहर विक्रेताओं को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है।

हसदेव जलाशय क्षेत्र में तिलापिया एवं पंगास (बासा) प्रजाति की मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है। तिलापिया मछली कम लागत में पाली जा सकती है, यह पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत होने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अत्यंत लोकप्रिय है। इसकी खपत अमेरिका जैसे देशों में भी हो रही है। यह मछली रोग प्रतिरोधक होती है तथा 6-8 माह में बाजार योग्य आकार में विकसित हो जाती है। वहीं पंगास मछली में कांटा कम होता है, जिससे यह उपभोक्ताओं के बीच अधिक लोकप्रिय है।

हसदेव-बांगो जलाशय क्षेत्र में विकसित हो रहा एक्वा पार्क राज्य में मछली पालन, स्वरोजगार एवं पर्यटन को एक नई पहचान देगा। यह पहल न केवल क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि ग्रामीणों के लिए सम्मानजनक और टिकाऊ आजीविका के नए द्वार भी खोलेगी।

RELATED ARTICLES
spot_img
- Advertisment -spot_img

ब्रेकिंग खबरें

spot_img