Chhattisgarh: जहां आजादी के बाद नहीं फहरा था राष्ट्रीय ध्वज, ऐसे स्थानों पर सीआरपीएफ जवान बांट रहे तिरंगा

0
264
Chhattisgarh: जहां आजादी के बाद नहीं फहरा था राष्ट्रीय ध्वज, ऐसे स्थानों पर सीआरपीएफ जवान बांट रहे तिरंगा

रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान राज्य के बस्तर इलाके के दूरदराज के गांवों में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत आदिवासियों को तिरंगा बांट रहे हैं। सीआरपीएफ के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि इन गावों में कुछ ऐसे गांव भी हैं ?जहां आजादी के बाद से अब तक नक्सली खतरे समेत विभिन्न कारणों से राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया जा सका है।

उन्होंने बताया कि इस दौरान सीआरपीएफ के जवान ग्रामीणों को अपने-अपने घरों में झंडा फहराने को कह रहे हैं और साथ ही साथ उन्हें स्वतंत्रता दिवस के महत्व से भी अवगत करा रहे हैं। इस कदम से सुरक्षा बलों को स्थानीय लोगों के साथ संबंध सुधारने में भी मदद मिल रही है। राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के 38 बटालियनों को तैनात किया गया है। एक बटालियन में करीब एक हजार जवान होते हैं।

छत्तीसगढ़ में पदस्थ सीआरपीएफ के महानिरीक्षक साकेत कुमार ंिसह ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर और सुकमा जिलों के गांवों में सीआरपीएफ जवानों ने लगभग एक लाख राष्ट्रीय ध्वज बांटा है। ंिसह ने कहा कि सीआरपीएफ पिछले लगभग एक दशक से भी अधिक समय से बस्तर क्षेत्र में तैनात है। इस अभियान का उद्देश्य दूरदराज के गांवों के आदिवासियों को आजादी के 75वें वर्षगांठ के पर्व से जोड़ना है।

उन्होंने कहा कि ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत राष्ट्रीय ध्वज बांटने का अभियान इस सप्ताह शुरू किया गया था और इसका समापन आज शनिवार को हो रहा है। अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत शिविर और पुलिस थानों के आसपास के लगभग सात-आठ किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में ध्वज बांटा गया है। दक्षिण बस्तर क्षेत्र में सीआरपीएफ के कई शिविर हैं, इसलिए वहां बड़ी संख्या में गांवों को शामिल किया गया है।

ंिसह ने कहा, ‘‘कुछ गांवों में जहां कभी तिरंगा झंडा नहीं फहराया गया था, वहां के ग्रामीण राष्ट्रीय ध्वज को देखकर चकित रह गए। उनकी प्रतिक्रिया शानदार थी, उन्होंने न केवल गर्मजोशी के साथ झंडे लिए, बल्कि जब सुरक्षा बल के जवानों ने उन्हें स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्रीय ध्वज के महत्व के बारे में समझाया तब उन्होंने उन्हें धैर्यपूर्वक सुना।’’

राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि माओवादी आमतौर पर बस्तर के अंदरूनी इलाकों में स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस समारोह का बहिष्कार करने का आ’’ान करते हैं और विरोध दर्ज करने के लिए लाल और काले झंडे फहराते हैं। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में माओवादियों द्वारा काले झंडे फहराए जाने की घटनाओं में काफी हद तक कमी आई है।

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि पुलिस ने 15 अगस्त को एल्मागुंडा और पोटकपल्ली (सुकमा जिला), चंदामेटा (बस्तर), हिरोली (दंतेवाड़ा), कुमेरी (कोंडागांव) और आरा (कांकेर) जैसी जगहों पर तिरंगा झंडा फहराने की योजना बनाई है। जहां कभी भी तिरंगा नहीं फहराया गया था।

सुंदरराज ने कहा, ‘‘माओवादियों के गढ़ मिनपा, गलगाम, सिलगेर, पोटाली, करीगुंडम, कडेमेट्टा, पडरगांव और पुंगरपाल जैसे कई अन्य गावों में पिछले तीन वर्षों में 43 नए शिविरों की स्थापना की गई है। इसके परिणामस्वरूप नक्सलियों द्वारा काला झंडा फहराने की घटनाओं में भी कमी आई है। अब इन स्थानों पर देशभक्ति के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा।’’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here