बालोद ब्यूरो चीफ ढालेंद्र कुमार
बालोद/अरकार: जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत अरकार जिसे आयुर्वेद ग्राम पंचायत की उपाधि शासन और प्रशासन के द्वारा मिली हुई है। हालांकि इस ग्राम पंचायत को यह उपाधि शासन और प्रशासन ने क्यों प्रदान करके रखा हुआ है, यह अबतक किसी भी व्यक्ति के पलड़े नहीं पड़ रहा है। चूंकि खारून नदी के तट पर बसे इस गांव को ज्यादातर लोग मुर्गा पुड़ी, कच्ची शराब, अवैध सट्टा कारोबार, से लेकर अवैध गांजा कारोबार से संबंधित जुड़े हुए विषयों को लेकर जानते व पहचानते है। इन तमाम अनैतिक कार्यो से जुड़ी हुई विषयों को लेकर अरकार की पहचान ना सिर्फ बालोद जिला में मशहूर है बल्कि दुर्ग जिला रायपुर जिला और धमतरी जिले तक में भी मशहूर है।
अतः इस तरह के अवैध गतिविधियों में इस गांव की प्रसिद्धि के मायने को समझा जा सकता है। निश्चित रूप से किसी भी ग्राम पंचायत के लिए यह तमाम उपाधी और सम्मान गौरवांवित महसूस करने वाली बात नहीं हो सकती है,लेकिन इतनी उपाधी प्राप्त होने के बाद इस गांव के गणमान्य नागरिक खामोश हो कर चुपचाप आलू छिलते हुए बैठे हुए हैं,यह किसी भी व्यक्ति के गले नहीं उतर रहा है। चूंकि इस गांव में सत्ता धारी राजनीतिक दल के बड़े बड़े नेताओं का बसेरा है।
ऐसे में उनकी भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। आखिरकार सत्ता धारी राजनीतिक दल के नेता जो दिन-रात सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को अपनी खुद की जागीर समझ कर जगह जगह ठिंठोरा पिटते हुए दिखाई देने वाले नेता अपने ही गांव की अवैध गतिविधियों पर चुप और मौन क्यों हैं? क्या कांग्रेसी नेता जो अरकार पंचायत में निवास करते है,उन्हें छोटे छोटे बच्चों को चिलम फूंकते हुए देखना अच्छा लगता है,या फिर शराब से बर्बाद होते हुए गरीबों को देखना उन्हें पसंद है। निश्चित रूप से अरकार में रहने वाले गणमान्य लोगों को इस प्रसिद्धि से तकलीफ जरूर होता होगा।
विशेष रूप से उन लोगों को जो अपने मातृभूमि से बेहद लगाव रखते हैं। अरकार से लगाव रखने वाले लोगों के लिए यह प्रसिद्धि निश्चित रूप से चूभने वाली हैं,लेकिन जो सत्य है उससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है। दरअसल आयुर्वेद ग्राम पंचायत अरकार में विगत कुछ वर्षों से अवैध शराब, अवैध गांजा, और अवैध सट्टा कारोबार को लेकर काफी ख्याति अर्जित कर लिया है, जबकि सरकार ने इस क्षेत्र में इस तरह के कार्य ना हो सके इसके लिए हाल फिलहाल एक और नया थाना का भी निर्माण कराया है।
बावजूद इसके थाना से महज कुछ दूरी पर स्थित अरकार में खुलेआम इस तरह के कार्य संचालित किए जाने की सूचना जगजाहिर है। ग्रामीणों की मानें तो पुलिस थाने में पदस्थ पुलिस वाले लोगों को अवैध गतिविधियों की बराबर जानकारी है लेकिन लज्जा और शर्म की कमी के चलते पुलिस थाना में पदस्थ पुलिस वाले अवैध गतिविधियों के जरिए आयुर्वेद ग्राम पंचायत की आबोहवा को खराब करने वाले लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं करती है।
अब सवाल यह है कि पुलिस थाना में पदस्थ पुलिस वाले लोगों को कार्यवाही करने में लज्जा और शर्म क्यों आती है। क्या पुलिस महकमा में पदस्थ जवान अवैध गतिविधियों को संचालित करने वाले लोगों को पुरा ससूर मानकर चलती है जिसके चलते उन्हें शर्म आती है या फिर किसी तरह की निवछावरखोरी से संबंधित जुड़ा हुआ मामला है।
जिसके चलते पुलिस थाना में पदस्थ पुलिस वाले लोगों को ग्राम पंचायत अरकार में अवैध शराब, अवैध सट्टा कारोबार,और अवैध गांजा कारोबार करने की खुलेआम अनुमति प्रदान कर रखा हैं। जानकारों की मानें तो ग्राम पंचायत अरकार के अंदर इस तरह की अवैध गतिविधियां संचालित होने से सनौद थाना में पदस्थ पुलिस कर्मचारियों के छवि बालोद पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए एवं समाज में पुलिस महकमा की छवि को धूमिल होने से बचाने हेतू इस तरह की अवैध गतिविधियों को संचालित करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकी समाज के मध्य पुलिस की भूमिका बढ़िया बने रहे। अब देखना यह है कि पुलिस महकमा अरकार को सही मायने में आयुर्वेद ग्राम पंचायत बनाने में क्या भूमिका अदा करती है।