तिरुवनंतपुरम: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ होने से पहले पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने नया अध्यक्ष चुनने में सहमति बनाने की बुधवार को पैरवी की और किसी भी स्थिति में संगठन से जुड़े मामलों में नेहरू-गांधी परिवार के महत्व को कायम रखे जाने पर जोर दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस चुनाव में गांधी परिवार से इतर कोई और अध्यक्ष चुना जाता है तो भी सोनिया गांधी वह व्यक्ति होंगी जिनकी ओर हर व्यक्ति उम्मीद से देखेगा और राहुल गांधी पार्टी के वैचारिक केंद्रंिबदु बने रहेंगे।
रमेश ने इस धारणा को भी सिरे से खारिज कर दिया कि किसी अन्य व्यक्ति के अध्यक्ष बनने पर भी राहुल गांधी “बैकसीट ड्राइंिवग” (पीछे से चलाने) का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी उदार और लोकतांत्रिक व्यक्ति हैं।
रमेश ने दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि आलाकमान के बिना कोई भी पार्टी ”अराजक” हो जाएगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस के कुछ नेताओं की आलाकमान संस्कृति से जुड़ी दलील को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था के बिना पार्टी में अराजकता पैदा हो जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सहमति बनाने की पैरवी करते हुए रमेश ने दिग्गज कांग्रेस नेता रहे के. कामराज के कथन का उल्लेख किया कि पार्टी के नेतृत्व के लिए हर किसी से बात करें और समुचित सहमति बनाएं।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस के इतिहास में हमने आमातौर पर सहमति के आधार पर चुनाव किया। 1938, 1950, 1997 और 2000 में चुनाव हुए। लेकिन मेरी राय कामराज के विचार की तरह व्यापक सहमति की है। मैं कामराज के विचारों से संबंध रखता हूं।”
कांग्रेस की ओर से घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, 22 सितंबर को पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। 24 सितंबर से नामांकन दाखिल किए जा सकते हैं। यदि एक से अधिक उम्मीदवार हुए तो 17 अक्टूबर को मतदान होगा।