रायपुर : आज दिनांक 25.11.2024 को भारतीय संविधान दिवस (Indian Constitution Day) के 75 वें वर्ष के उपलक्ष में संविधान दिवस कार्यक्रम का आयोजन विधि अध्ययन शाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में किया गया..कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रजनीश श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव विधि एवं विधायी कार्य विभाग छत्तीसगढ़, विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. सच्चीदानंद शुक्ला, विधि अध्ययन शाला के विभागाध्यक्ष प्रो. राजीव चौधरी साथ में सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रिया राव एवं विभाग के अतिथि शिक्षकगण, स्टाफ, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
कार्यक्रम का उद्येश्य विधिक जागरूकता व लोगों में भारतीय संविधान के प्रति जागरूकता फैलाना था अतः इस उद्येश्य को छात्र- छात्राओं द्वारा कार्यक्रम में नुक्कड़- नाटक, नृत्य, संगीत आदि प्रस्तुति के माध्यम से सफल बनाया गया | कार्यक्रम में रजनीश श्रीवास्तव ने छात्रों को प्रेरित करते हुए अपने कालेज के दिनों के संघर्षों के बारे में बताया और कहा कि सफलता पाने के लिए जरूरी नहीं है कि आप टॉपर ही हों यदि आप मेहनत करते हैं तो किसी भी मुकाम को प्राप्त कर सकते हैं उन्होंने कहा कि संविधान एक सामाजिक आध्यात्मिक दस्तावेज है,
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एक जीवनशैली हैं जो हमें अच्छा कर्म करना सिखाती है क्योंकि आपके हर कर्म का निर्धारण संविधान से जुड़ा हुआ है यदि हम कर्म से हट गए तो संविधान से हट जाएंगे, उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि क्योंकि आप एकेडमिक से जुड़े हैं इसलिए जो कानून आपके सिलेबस में नहीं है उनकी भी पढ़ाई करें और ज्ञान का संचय करें और इस ज्ञान को समाज कल्याण में उपयोग करें।
कुलपति महोदय प्रो. सच्चीदानंद शुक्ला ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि विधि स्वाभाविक पसंद का विषय है जिससे हर इंसान को लगाव है, भारतीय संविधान विश्व का बढ़ा संविधान है जिसपे हमारा लोकतंत्र टीका हुआ है और समाज के हर संस्कृति को सुरक्षित करता है, उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास हमे यह सिखाता है कि समाज में हमे आपसी प्रेम व सौहार्ध के साथ रहना है और इसी प्रेम व सौहार्द को संरक्षित करने का काम भारतीय संविधान करता है ऐसे में विधि विद्यार्थी होने के नाते यह कर्तव्य है कि संविधान के प्रति निष्ठा दिखाएं और जनहित में कार्य करें।
कार्यक्रम में विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजीव चौधरी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान में न्याय व्यवस्था और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है और विधि विद्यार्थियों की यह जिम्मेदारी है कि न्याय को सुदृढ़ बनाने में और विधिक शिक्षा को उच्चतर स्तर तक पहुंचाने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें ।
कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों एवं भारतीय संविधान के निर्माताओं को ससम्मान याद किया गया और टोनही प्रताड़ना, मानव तस्करी और अस्पृश्यता जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों को नाटक, गीत व नृत्य के माध्यम से दिखाया गया एवं आयोजन सचिव डॉ. प्रिया राव, सहायक प्राध्यापक विधि अध्ययन शाला द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।