रायपुर: कोयला घोटाले के मुख्य आरोपी निखिल चंद्राकर की पत्नी तलविंदर चंद्राकर उर्फ चिक्की पर आरोप है कि उसने एक युवती के घर पर सामान सहित कब्जा कर लिया है। इस मामले में युवती पिछले दो वर्षों से थाना खम्हारडीह के चक्कर काट रही है, लेकिन थाना प्रभारी मनोज कुमार साहू द्वारा अभी तक कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया है।
आज इस मामले में एडिशनल एसपी लखन पटले के हस्तक्षेप के बावजूद थाना प्रभारी ने मामला दर्ज नहीं किया, जिससे परेशान युवती ने थाने के सामने आमरण अनशन पर बैठ गई है। युवती का कहना है कि यदि प्रशासन मामले में कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो वह आत्मदाह करने को मजबूर होगी।
युवती के समर्थन में सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है। इस घटनाक्रम ने क्षेत्र में चर्चाओं का माहौल बना दिया है और अब सबकी नजरें प्रशासन पर टिकी हैं, कि वह कब तक इस गंभीर मामले में कदम उठाएगा।
गौरतलब है कि कोयला घोटाले से जुड़े कई महत्वपूर्ण आरोपों की जांच अभी भी चल रही है और यह नया मामला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
पुलिस सूत्रों की माने तो यह मामला इसलिए नहीं दर्ज हो रहा है क्योंकि पिछली कांग्रेस सरकार की कुछ अधिकारियों के शह पर और कुछ कांग्रेसी नेताओं के निर्देश पर इन शिकायतों को रोकने के लिए काम किया गया। इसके बाद अब इस मामले में पीड़िता को सिर्फ और सिर्फ भड़काने का काम किया जा रहा है।
आरोपियों के पास पैसा होने के कारण जो भी अधिकारी पदस्थ होता है, उसे पैसा देकर खरीद लिया जाता है। जिसके कारण अब तक क्या मामला दर्ज नहीं हुआ, जबकि भाजपा शासन काल आने के बाद इस मामले दर्ज करने के लिखित आदेश भी अधिकारियों के पास हैं। लेकिन जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चल रही है जिसमें साक्ष्य को छुपा कर गलत रिपोर्ट आला अधिकारियों को दे दी जाती है।
तत्कालीन सी एस पी केसरी नंदन और तत्कालीन थाना प्रभारी श्रुति सिंह पर पीड़िता ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों अधिकारी कोयला घोटाले के मुख्य आरोपी निखिल चंद्राकर की पत्नी तलविंदर चंद्राकर उर्फ चिक्की के धनबल के प्रभाव में आकर पीड़िता के खिलाफ दो साल बैकडेट में शिकायत लिए थे।
पीड़िता का कहना है कि अधिकारियों द्वारा उसे मानसिक प्रताड़ना दी जा रही थी और इस मामले में अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया जा रहा था। आरोप है कि केसरी नंदन हर नए अधिकारी को इस मामले में बरगलाकर अपने नमक का कर्ज अदा करते हुए आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे थे एवं आरोपियों को खुला संरक्षण देकर मनोबल बढ़ा रहे थे।